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कविता

अँधेरा

राकेशरेणु


(एक)

आप अपने कमरे की मेज हटाइए
या कुर्सी, या रैक या कोई अन्य सामान
क्या कोई वस्तु आ सकती है स्वतः वहाँ
खाली किया है आपने स्थान जहाँ... ?
प्रकाश के हटने से खाली रह सकती है जगह
उसका विस्थापक अँधेरा कैसे हो सकता है भला ?
अँधेरा वस्तुतः कुछ नहीं होता अपने में
यह एक कल्पना है हारे और हताश लोगों की
इसका नहीं होता निज अस्तित्व

(दो)

जहाँ पेड़ हैं और पेड़ पर पत्ते
जहाँ कहीं घोंसले हैं और घोसलों में किल्लोल
झुड़मुट में चिड़ा है जहाँ अपनी मादा के साथ
जहाँ बच्चे हैं आँखों में चमक लिए उम्मीद की
जहाँ कंधे पर है दोस्त का हाथ
और आँखों में प्रियतम की आँखें
जहाँ विश्वास और प्रेम जीवित है अभी
वहाँ प्रकाश है, चिरंतन प्रकाश
अँधेरा कैसे व्यापेगा वहाँ ?


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